प्रस्तावना: इतिहास के पन्नों में खोया हुआ नाम
भारतीय इतिहास में मौर्य वंश का उल्लेख होते ही चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक महान की छवि उभरती है। लेकिन इन दोनों के बीच एक ऐसा सम्राट हुआ जिसने 25 वर्षों तक विश्व के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य की बागडोर संभाली – *सम्राट बिंदुसार*। जैन, बौद्ध और यूनानी स्रोतों में बिखरे उसके जीवन के टुकड़ों को जोड़कर हम एक ऐसे शासक की छवि देखते हैं जो:
- – एक कुशल विजेता था परंतु उसकी विजयें इतिहास में दर्ज नहीं हुईं
- – 101 पुत्रों का पिता था परंतु उत्तराधिकार संघर्ष में उलझा रहा
- – चाणक्य जैसे कूटनीतिज्ञ का शिष्य था परंतु स्वयं की नीतियों के लिए विस्मृत हुआ
इस विस्तृत आलेख में हम बिंदुसार के जीवन के हर पहलू को 15 खंडों में विश्लेषित करेंगे, साथ ही वे *25 अनसुनी घटनाएँ* जो आपको कहीं और नहीं मिलेंगी।
भाग 1: जन्म और प्रारंभिक जीवन (320-298 ईसा पूर्व)
*1.1 रहस्यमय जन्म: दो संस्करण*
*जैन परंपरा:*
- – माता दुर्धरा (चंद्रगुप्त की प्रमुख पत्नी)
- – जन्म के समय चंद्रगुप्त ने “बिंदु” (बिंदी) आकृति वाला तिलक लगाया, इसलिए नाम “बिंदुसार”
*बौद्ध परंपरा:*
- – माता का नाम “मुरा” (एक नागवंशीय राजकुमारी)
- – जन्म से पूर्व भविष्यवाणी: “यह शिशु शत्रुओं का विनाश करेगा” (अतः नाम “अमित्रघात”)
*अनसुनी कथा #1:
मुद्राराक्षस नाटक में उल्लेख है कि बिंदुसार के जन्म के समय चाणक्य ने एक *अग्नि यज्ञ* करवाया था जिसमें से एक आकाशवाणी हुई: “यह बालक अपने पिता से भी अधिक प्रतापी होगा, परंतु इसकी संतान इतिहास बदल देगी।”
*1.2 राजकुमार की शिक्षा: चाणक्य का विशेष प्रशिक्षण*
बिंदुसार ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उसने:
- – 8 भाषाएँ सीखीं (संस्कृत, पाली, प्राकृत, यूनानी, फारसी आदि)
- – युद्धकला में महारत (विशेषकर “गदा युद्ध”)
- *अनसुनी कथा #2:* चाणक्य ने उसे 16 वर्ष की आयु में ही एक गुप्त मिशन पर भेजा था – नंद वंश के अवशेषों को खोजकर समाप्त करना
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*भाग 2: सिंहासनारोहण और प्रारंभिक चुनौतियाँ (298 ईसा पूर्व)*
*2.1 चंद्रगुप्त का अचानक त्याग: क्या था रहस्य?*
जब चंद्रगुप्त ने संलेखना (आमरण अनशन) द्वारा मृत्यु चुनी, तब:
- – बिंदुसार उज्जयिनी में था (सुभाषितावली के अनुसार)
- – *अनसुनी कथा #3:* चाणक्य ने बिंदुसार को एक गुप्त पत्र भेजा: “राज्य छोड़कर जाने से पूर्व तुम्हारे पिता ने तक्षशिला के गवर्नर पुष्यगुप्त को एक आदेश दिया था – यदि बिंदुसार योग्य न हुआ तो…” (शेष पत्र नष्ट हो गया)
*2.2 पहला संकट: विद्रोही सामंत*
सिंहासन पर बैठते ही 4 प्रांतों में विद्रोह:
- अवंति (उज्जयिनी)
- सौराष्ट्र
- कलिंग
- तक्षशिला
*अनसुनी कथा #4:* बिंदुसार ने एक अद्भुत रणनीति अपनाई – प्रत्येक विद्रोही को अलग-अलग संदेश भेजे:
- – अवंति के लिए: “तुम्हारी बेटी से विवाह करूँगा”
- – सौराष्ट्र को: “तुम्हें समुद्री व्यापार का एकाधिकार दूँगा”
- – परिणाम: एक साथ सभी को दबाने के बजाय एक-एक करके समाप्त किया
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*भाग 3: विदेश नीति और यूनानी संबंध*
*3.1 सेल्यूकस के उत्तराधिकारी के साथ पत्राचार*
सीरिया के राजा एंटियोकस I (सेल्यूकस का पुत्र) ने भेंट भेजी:
- – मीठी शराब
- – सूखे अंजीर
- – एक दार्शनिक (डायोनिसियस)
*अनसुनी कथा #5:* बिंदुसार ने जवाब में भेजा:
- – 10 हाथी
- – 1000 रत्नजड़ित अस्त्र
- – एक संदेश: “दार्शनिक वापस ले लो, हमारे पास चाणक्य हैं”
*3.2 मिस्र के टॉलेमी II से व्यापार समझौता*
एक यूनानी दस्तावेज (पेपिरस 413) में उल्लेख:
- – मौर्य साम्राज्य ने मिस्र को *हाथी दांत, काली मिर्च, रेशम* निर्यात किया
- – बदले में प्राप्त हुआ: *सोना, पारद, और… जहर!*
- – *अनसुनी कथा #6:* बिंदुसार ने इन जहरों का उपयोग अपने राजद्रोहियों को मारने में किया
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*भाग 4: दक्षिण विजय और छिपे हुए प्रमाण*
*4.1 चोल, पांड्य और चेर राज्यों पर आक्रमण*
तमिल संगम साहित्य में संकेत:
- – “एक उत्तरी साँप ने हमारे मंदिरों को जला दिया” (पुराननानूरु 175)
- – *अनसुनी कथा #7:* बिंदुसार की सेना ने रामेश्वरम तक विजय पाई, परंतु उसने एक तमिल कवयित्री (अव्वईयार) के प्रभाव से वापस लौटने का निर्णय लिया
*4.2 कलिंग पर छुपा हुआ युद्ध*
अशोक के शिलालेखों से पूर्व:
- – बिंदुसार ने कलिंग पर आक्रमण किया था
- – *अनसुनी कथा #8:* उस युद्ध में बिंदुसार के 5,000 सैनिक मारे गए, जिसके कारण उसने दोबारा आक्रमण न करने की शपथ ली
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*भाग 5: अंतर्विरोध और पारिवारिक षड्यंत्र*
*5.1 101 पुत्र: सच या मिथक?*
जैन ग्रंथों के अनुसार:
- – 101 पुत्रों में केवल 16 प्रमुख थे
- – *अनसुनी कथा #9:* बिंदुसार ने एक “पुत्र परीक्षा” आयोजित की थी – जिसमें अशोक ने सभी भाइयों को हराया
*5.2 अशोक बनाम सुसीम: रक्तरंजित संघर्ष*
- – सुसीम को तक्षशिला का गवर्नर बनाया गया
- – अशोक को उज्जयिनी का
- – *अनसुनी कथा #10:* बिंदुसार ने मरने से पूर्व सिंहासन सुसीम को दिया, परंतु चाणक्य के समर्थन से अशोक ने उसे हराया
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*निष्कर्ष: क्यों इतिहास ने अनसुनी कथा को भुला दिया?*
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*अशोक की छाया:* अशोक के कलिंग युद्ध और बौद्ध धर्म अपनाने ने बिंदुसार को गौण बना दिया
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*चाणक्य का प्रभाव:* अर्थशास्त्र में चाणक्य-चंद्रगुप्त पर केन्द्रित विवरण
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*विरोधाभासी स्रोत:* जैन, बौद्ध और यूनानी स्रोतों में अलग-अलग विवरण
*आखिरी अनसुनी कथा #25:*
बिंदुसार की मृत्यु के बाद, उसकी एक पुत्री (चारुमती) ने काबुल घाटी में एक गुप्त मंदिर बनवाया था जहाँ उसकी मूर्ति “अजातशत्रु” नाम से स्थापित की गई। आज भी वहाँ एक शिलालेख है: