🕵️♂️: #अशोक महान की अनसुनी घटनाएँ और विवाद
परिचय
आप लोग अशोक के सारे जीवन के बारे में लगभाग जानते ही होंगे, लेकिन आज हम इस ब्लॉग में सम्राट अशोक महान की अनसुनी घटनाएँ और विवाद जानेंगे तथायो के साथ
🔥 1. “चंड अशोक” की उपाधि – क्रूरता की छवि
अशोक का प्रारंभिक जीवन जितना तेजस्वी था, उतना ही क्रूर भी बताया गया है। उन्हें “चंड अशोक” की उपाधि दी गई थी – जिसका अर्थ है “क्रूर अशोक”।
कहा जाता है:
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अशोक ने युवावस्था में अत्यधिक कठोरता दिखाई।
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अपराधियों को कठोर दंड देता, यहाँ तक कि अत्यधिक छोटी बातों पर भी लोगों को मृत्यु दंड दिया जाता।
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कुछ कथाओं के अनुसार उन्होंने एक बाग़ में “नरक सदृश कारागार” (Hell Chamber) बनवाया था, जहाँ अपराधियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं।
👉 यह वही अशोक था जो आगे चलकर धम्म का पुजारी बना।
🛡️ 2. तक्षशिला का विद्रोह – युद्ध नहीं, नीति से नियंत्रण
जब तक्षशिला (आधुनिक पाकिस्तान) में विद्रोह हुआ, तो अशोक को वहां राज्यपाल बना कर भेजा गया। सभी को लगा कि युवा अशोक वहां जाकर बल प्रयोग करेगा।
लेकिन…
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अशोक ने सैनिकों के बजाय प्रजाजनों से संवाद किया।
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उसने प्रजा की शिकायतें सुनीं और प्रशासनिक बदलाव किए।
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बिना एक भी युद्ध किए, विद्रोह शांत हो गया।
👉 यह अशोक की राजनैतिक सूझबूझ और जनता के विश्वास का पहला प्रमाण था।
⚔️ 3. सत्ता प्राप्ति के लिए रक्तरंजित संघर्ष
बिंदुसार की मृत्यु के बाद गद्दी के लिए संघर्ष हुआ।
इतिहासकारों के अनुसार:
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अशोक के सौतेले भाई सुषीम और अन्य राजकुमार सत्ता के दावेदार थे।
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सत्ता प्राप्ति के लिए अशोक ने दरबार में एक षड्यंत्र रचा और कहा जाता है कि उसने 99 भाइयों की हत्या कर दी।
कुछ बौद्ध ग्रंथ इसे पुष्टि करते हैं, जबकि ब्राह्मणिक साहित्य इसे “अत्युक्ति” कहता है।
परन्तु यह निश्चित है कि अशोक का सत्ता तक पहुँचना सहज नहीं था – यह रक्त और राजनैतिक कौशल से सना हुआ रास्ता था।
🧘♂️ 4. भिक्षु निग्रोध से भेंट – आत्मा की जागृति
एक दिन शिकार से लौटते हुए अशोक ने एक शांत और तेजस्वी बाल भिक्षु निग्रोध को ध्यान में बैठा देखा।
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भिक्षु की शांत मुद्रा और करुणा से प्रभावित होकर अशोक ने उससे बात की।
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उस भिक्षु ने अशोक को धम्म और अहिंसा की शिक्षा दी।
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यहीं से अशोक के भीतर बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई — यह कलिंग युद्ध से पहले की घटना मानी जाती है।
👉 यही घटना अशोक के बौद्ध धर्म की ओर झुकाव का पहला आधार बनी।
💔 5. कुनाल की आँखें और तिष्यरक्षिता का षड्यंत्र
अशोक की एक अन्य रानी तिष्यरक्षिता को अशोक के पुत्र कुनाल से ईर्ष्या थी।
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कुनाल विद्वान, वीर और प्रजा में प्रिय था — भावी उत्तराधिकारी माने जाते थे।
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कहा जाता है कि तिष्यरक्षिता ने षड्यंत्र कर कुनाल को अंधा करवा दिया।
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आदेश को शास्त्रीय शब्दों में लिखा गया था, जिसे भ्रामक रूप में पढ़कर कुनाल ने खुद ही अपनी आँखें निकाल लीं।
👉 इस घटना ने अशोक को भीतर तक तोड़ दिया।
📜 निष्कर्ष: छाया में छिपा सम्राट
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि:
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अशोक केवल धर्म और शांति के प्रतीक नहीं थे, बल्कि उनके जीवन में अत्यधिक कठोरता, सत्ता की भूख, पारिवारिक द्वंद्व और आत्मसंघर्ष भी था।
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उनका महान बनना, उनके अपराधबोध, आत्मनिरीक्षण और परिवर्तन की प्रक्रिया का परिणाम था।